उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अहम फैसला सुनाते हुए पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट बनाई जाए, अब कोर्ट ने युवाओं की बात पर मोहर लगा दिए पुरानी चयन सूची को रद्द कर दिया है और आदेश दिया है कि नई लिस्ट 3 महीने के अंदर बनाई जाए। युवाओं के 6 वर्ष के प्रयास को हाईकोर्ट की एक फैसले से राहत मिली। सरकार को आरक्षण का सही तरीके से पालन करते हुए 3 महीने में नई सूची जारी करें ही हाईकोर्ट का आदेश है।
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Highcourt के फैसले पर राजनेताओ के X पर प्रतिक्रिया :-
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Akhilesh Yadav :- 69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे।ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएँ!
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Keshav Prasad Maurya :- शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।
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Mayawati :- यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।
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